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नवरात्री के 9 दिन अलग-अलग देवी शक्तियों की पूजा होती है, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है। नवरात्रि में पहला दिन माता शैलपुत्री, दूसरा दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरा दिन चंद्रघंटा, चौथा दिन कुष्मांडा, पांचवा दिन स्कंद माता, छठा दिन कात्यायनी, सातवां दिन कालरात्रि, आठवा दिन महागौरी, नौंवा दिन सिद्धिदात्री की पूजा होती है।

पहला दिन माता शैलपुत्री की आरती Lyrics

जय शैलपुत्री माता

मैया जय शैलपुत्री माता ।

रूप अलौकिक पावन

शुभ फल की दाता ।।

जय शैलपुत्री माता ।।

हाथ त्रिशूल कमल तल

मैया के साजे ।

शीश मुकुट शोभामयी

मैया के साजे ।।

जय शैलपुत्री माता ।।

दक्षराज की कन्या

शिव अर्धांगिनी तुम ।

तुम ही हो सती माता

पाप विनाशिनी तुम ।।

जय शैलपुत्री माता ।।

वृषभ सवारी माँ की

सुन्दर अति पावन ।

सौभाग्यशाली बनता

जो करले दर्शन ।।

जय शैलपुत्री माता ।।

आदि अनादि अनामय

तुम माँ अविनाशी ।

अटल अनत अगोचर

अतुल आनंद राशि ।।

जय शैलपुत्री माता ।।

नौ दुर्गाओं में मैया

प्रथम तेरा स्थान ।

रिद्धि सिद्धि पा जाता

जो धरता तेरा ध्यान ।।

जय शैलपुत्री माता ।।

प्रथम नवरात्रे जो माँ

व्रत तेरा धरे ।

करदे कृपा उस जन पे

तू मैया तारे ।।

जय शैलपुत्री माता ।।

मूलाधार निवासिनी

हमपे कृपा करना ।

लाल तुम्हारे ही हम

द्रष्टि दया रखना ।।

जय शैलपुत्री माता ।।

करुणामयी जगजननी

दया नज़र कीजे ।

शिवसती शैलपुत्री माँ

चरण शरण लिजे ।।

जय शैलपुत्री माता ।।

दूसरा दिन ब्रह्मचारिणी की आरती Lyrics

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।

जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।

ब्रह्मा जी के मन भाती हो।

ज्ञान सभी को सिखलाती हो।

ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।

जिसको जपे सकल संसारा।

जय गायत्री वेद की माता।

जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।

कमी कोई रहने न पाए।

कोई भी दुख सहने न पाए। 

उसकी विरति रहे ठिकाने।

जो ​तेरी महिमा को जाने।

रुद्राक्ष की माला ले कर।

जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।

आलस छोड़ करे गुणगाना।

मां तुम उसको सुख पहुंचाना।

ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।

पूर्ण करो सब मेरे काम।

भक्त तेरे चरणों का पुजारी।

रखना लाज मेरी महतारी।

तीसरा दिन चंद्रघंटा की आरती Lyrics

जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।

पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।

चंद्र समान तुम शीतल दाती।

चंद्र तेज किरणों में समाती।

क्रोध को शांत करने वाली।

मीठे बोल सिखाने वाली।

मन की मालक मन भाती हो।

चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।

सुंदर भाव को लाने वाली।

हर संकट मे बचाने वाली।

हर बुधवार जो तुझे ध्याये।

श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।

मूर्ति चंद्र आकार बनाएं।

सन्मुख घी की ज्योत जलाएं।

शीश झुका कहे मन की बाता।

पूर्ण आस करो जगदाता।

कांची पुर स्थान तुम्हारा।

करनाटिका में मान तुम्हारा।

नाम तेरा रटू महारानी।

भक्त की रक्षा करो भवानी।

चौथा दिन कुष्मांडा की आरती Lyrics

**मां कूष्मांडा का मंत्र**

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे।

**मां कूष्मांडा की आरती** 

कूष्मांडा जय जग सुखदानी।

मुझ पर दया करो महारानी॥

पिगंला ज्वालामुखी निराली।

शाकंबरी माँ भोली भाली॥

लाखों नाम निराले तेरे ।

भक्त कई मतवाले तेरे॥

भीमा पर्वत पर है डेरा।

स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥

सबकी सुनती हो जगदंबे।

सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥

तेरे दर्शन का मैं प्यासा।

पूर्ण कर दो मेरी आशा॥

माँ के मन में ममता भारी।

क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥

तेरे दर पर किया है डेरा।

दूर करो माँ संकट मेरा॥

मेरे कारज पूरे कर दो।

मेरे तुम भंडारे भर दो॥

तेरा दास तुझे ही ध्याए।

भक्त तेरे दर शीश झुकाए

पांचवा दिन स्कंद माता की आरती Lyrics

जय तेरी हो स्कंद माता 

पांचवां नाम तुम्हारा आता 

सब के मन की जानन हारी 

जग जननी सब की महतारी 

तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं 

हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं 

कई नामों से तुझे पुकारा 

मुझे एक है तेरा सहारा 

कहीं पहाड़ों पर है डेरा 

कई शहरो मैं तेरा बसेरा

हर मंदिर में तेरे नजारे 

गुण गाए तेरे भगत प्यारे 

भक्ति अपनी मुझे दिला दो 

शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो 

इंद्र आदि देवता मिल सारे 

करे पुकार तुम्हारे द्वारे 

दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए 

तुम ही खंडा हाथ उठाए 

दास को सदा बचाने आई 

‘चमन’ की आस पुराने आई !

छठा दिन कात्यायनी की आरती Lyrics

जय जय अंबे जय कात्यायनी ।

जय जगमाता जग की महारानी ।।

बैजनाथ स्थान तुम्हारा।

वहां वरदाती नाम पुकारा ।।

कई नाम हैं कई धाम हैं।

यह स्थान भी तो सुखधाम है।।

हर मंदिर में जोत तुम्हारी।

कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।।

हर जगह उत्सव होते रहते।

हर मंदिर में भक्त हैं कहते।।

कात्यायनी रक्षक काया की।

ग्रंथि काटे मोह माया की ।।

झूठे मोह से छुड़ानेवाली।

अपना नाम जपानेवाली।।

बृहस्पतिवार को पूजा करियो।

ध्यान कात्यायनी का धरियो।।

हर संकट को दूर करेगी।

भंडारे भरपूर करेगी ।।

जो भी मां को भक्त पुकारे।

कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।

सातवां दिन कालरात्रि की आरती Lyrics

कालरात्रि जय-जय-महाकाली ।

काल के मुह से बचाने वाली ॥

दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा ।

महाचंडी तेरा अवतार ॥

पृथ्वी और आकाश पे सारा ।

महाकाली है तेरा पसारा ॥

खडग खप्पर रखने वाली ।

दुष्टों का लहू चखने वाली ॥

कलकत्ता स्थान तुम्हारा ।

सब जगह देखूं तेरा नजारा ॥

सभी देवता सब नर-नारी ।

गावें स्तुति सभी तुम्हारी ॥

रक्तदंता और अन्नपूर्णा ।

कृपा करे तो कोई भी दुःख ना ॥

ना कोई चिंता रहे बीमारी ।

ना कोई गम ना संकट भारी ॥

उस पर कभी कष्ट ना आवें ।

महाकाली माँ जिसे बचाबे ॥

तू भी भक्त प्रेम से कह ।

कालरात्रि माँ तेरी जय ॥

आठवा दिन महागौरी की आरती Lyrics

जय महागौरी जगत की माया।

जया उमा भवानी जय महामाया।।

रिद्वार कनखल के पासा।

महागौरी तेरा वहां निवासा।।

चंद्रकली और ममता अंबे।

जय शक्ति जय जय मां जगदंबे।।

भीमा देवी विमला माता।

कौशिकी देवी जग विख्याता।।

हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।

महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।।

सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया।

उसी धुएं ने रूप काली बनाया।।

बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।

तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।।

तभी मां ने महागौरी नाम पाया।

शरण आनेवाले का संकट मिटाया।।

शनिवार को तेरी पूजा जो करता।

मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।।

भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।

महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।।

 नौंवा दिन सिद्धिदात्री की आरती Lyrics

जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता

तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता

तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि

तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि

कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम

हाथ सेवक के सर धरती हो तुम

तेरी पूजा में न कोई विधि है

तू जगदंबे दाती तू सर्वसिद्धि है

रविवार को तेरा सुमरिन करे जो

तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो, 

तू सब काज उसके कराती हो पूरे

कभी काम उस के रहे न अधूरे

तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया

रखे जिसके सर पैर मैया अपनी छाया,

सर्व सिद्धि दाती वो है भाग्यशाली

जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली

हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा

महानंदा मंदिर में है वास तेरा,

मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता

वंदना है सवाली तू जिसकी दाता… !

दसवाँ माँ दुर्गा की मूर्ति को विसर्जित कर दिया जाता है।

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