जन गण मन| राष्ट्रगान, National Antham Lyrics Hindi & English

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जन गण मन| राष्ट्रगान Lyrics: “जन गण मन” की रचना प्रमुख बांग्ला साहित्यकार ‘रबिन्द्र नाथ टैगोर’ ने किया था। मूल गीत बंगाली(‘जन गण मन’ का मूल बांग्ला कृति हमने नीचे लिखा है) में लिखा गया था और पूरे गाने में 5 छंद हैं। यह पहली बार 1905 में तत्त्वबोधिनी पत्रिका के एक अंक में प्रकाशित हुआ था।

देश की आजादी के बाद जन-गण-मन को संविधान सभा ने भारत के राष्ट्रगान के रूप में 24 जनवरी 1950 को अपनाया लिया था।

जन गण मन Lyrics in Hindi

जन गण मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता

पंजाब सिन्ध गुजरात मराठा
द्राविड़ उत्कल बंग

विंध्य हिमाचल यमुना गंगा
उच्छल जलधि तरंग

तव शुभ नामे जागे
तव शुभ आशीष माँगे

गाहे तव जयगाथा

जन गण मंगलदायक जय हे
भारत भाग्य विधाता

जय हे, जय हे, जय हे
जय जय जय जय हे !

Jana Gana Mana Lyrics in English

Jana Gana Mana Adhinayak Jaya Hey
Bharat Bhagya Vidhata

Punjab Sindh Gujarat Maratha
Dravid Utkal Banga

Vindhya Himachal Yamuna Ganga
Uchchhal Jaladhi Taranga

Tava Shubh Naamey Jagey,
Tava Shubh Ashish mangey,

Gaahe Tav Jaya Gathaa,
Jana Gana Mangala Dayaka Jaya Hey

Bharat Bhagya Vidhata

Jaya Hey, Jaya Hey, Jaya Hey
Jaya Jaya Jaya, Jaya Hey

Jana Gana Mana Lyrics in Bengali

জনগণমন অধিনায়ক জয় হে, ভারত-ভাগ্য-বিধাতা

পাঞ্জাব সিন্ধু গুজরাট মারাঠা, দ্রাবিড় উৎকল বঙ্গ

বিন্ধ্য হিমাচল যমুনা গঙ্গা উচ্ছল-জলধি-তরঙ্গ

তব শুভ নামে জাগে, তব শুভ আশিস মাগে,

গাহে তব জয়গাথা।

জনগণ-মঙ্গল-দায়ক জয় হে ভারত-ভাগ্য-বিধাতা

জয় হে, জয় হে, জয় হে, জয় জয় জয়, জয় হে।।

অহরহ তব আহ্বান প্রচারিত, শুনি তব উদার বাণী

হিন্ধু বৌদ্ধ শিখ জৈন পারসিক মুসলমান খৃস্টানী

পূরব পশ্চিম আসে তব সিংহাসন পাশে

প্রেমহার হয় গাঁথা।

জনগণ-ঐক্য-বিধায়ক জয় হে ভারত-ভাগ্য-বিধাতা

জয় হে, জয় হে, জয় হে, জয় জয় জয়, জয় হে।।

পতন-অভ্যুদয়-বন্ধুর পন্থা, যুগ যুগ ধাবিত যাত্রী

হে চিরসারথি, তব রথচক্রে মুখরিত পথ দিনরাত্রি

দারুণ বিপ্লব মাঝে তব শঙ্খধ্বনি বাজে

সঙ্কট-দুঃখ-ত্রাতা।

জনগণ-পথ-পরিচায়ক জয় হে ভারত-ভাগ্য-বিধাতা

জয় হে, জয় হে, জয় হে, জয় জয় জয়, জয় হে।।

ঘোর-তিমির-ঘন নিবিড় নিশীথে পীড়িত মূর্ছিত দেশে

জাগ্রত ছিল তব অবিচল মঙ্গল নতনয়নে অনিমেষে

দুঃস্বপ্নে আতঙ্কে রক্ষা করিলে অঙ্কে

স্নেহময়ী তুমি মাতা।

জনগণ-দুঃখ-ত্রায়ক জয় হে ভারত-ভাগ্য-বিধাতা

জয় হে, জয় হে, জয় হে, জয় জয় জয়, জয় হে।।

রাত্রি প্রভাতিল, উদিল রবিচ্ছবি পূর্ব-উদয়গিরিভালে

গাহে বিহঙ্গম পুণ্য সমীরণ নবজীবনরস ঢালে

তব করুণারুণরাগে নিদ্রিত ভারত জাগে

তব চরণে নত মাথা।

জয় জয় জয় হে, জয় রাজেশ্বর ভারত-ভাগ্য-বিধাতা

জয় হে, জয় হে, জয় হে, জয় জয় জয়, জয় হে।।

जन गण मन Facts:

  • “जन गण मन” भारतीय संविधान में आदर्श रूप से गीत के रूप में स्वीकृत हुआ है और यह भारतीय गणराज्य का आधिकारिक राष्ट्रीय गीत है।
  • राष्ट्रगान को हमेशा सावधान की स्थिति में गया जाता है।
  • राष्ट्रगान गाने की अवधी लगभग 52 सेकण्ड की है।
  • किसी भी जगह राष्ट्रगान चलते समय, इसके सम्मान में सभी लोग खड़े होते हैं।
  • जन गण मन को सर्वप्रथम 27 दिसम्बर 1911 को कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में दोनों भाषाओं बंगाली और हिन्दी में गाया गया था।
  • गान में कुल 5 पद हैं।
  • गीत की संगीत स्वर उपन्यासकार मुकुंदलाल दत्त द्वारा तय की गई थी।
  • यह गीत संस्कृत, बंगाली, और हिंदी में लिखा गया है, लेकिन भारतीय गणराज्य के आधिकारिक रूप में हिंदी भाषा में प्रस्तुत किया जाता है।
  • गीत का मुख्य उद्देश्य समाज में एकता, अखंडता, और भारतीय संस्कृति की महत्वपूर्णता को प्रमोट करना है।

Jana Gana Mana Meaning in Hindi

जन गण मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता

जनों(लोगों) के मन के शासक, हे भारत के भाग्य के विधाता(असीम सत्ता= ईश्वर)

पंजाब सिन्ध गुजरात मराठा
द्राविड़ उत्कल बंग

विंध्य हिमाचल यमुना गंगा
उच्छल जलधि तरंग

इसमें पंजाब(आधा हिस्सा पकिस्तान में है), सिंध(वर्तमान में पकिस्तान में है), गुजरात, महाराष्ट्र, दक्षिणी राज्यों के द्रविड़ भाषा और ओडिशा और बंगाल क्षेत्रों का उल्लेख किया गया है। विंध्य और हिमालय पर्वत श्रृंखलाएँ और यमुना और गंगा नदियाँ हृदय में ख़ुशी की लहरे जगाती है।

तव शुभ नामे जागे
तव शुभ आशीष माँगे

सब तेरी शुभ नाम लेकर पवित्र आशीर्वाद पाने की अभिलाशा रखते हैं।

गाहे तव जयगाथा

जन गण मंगलदायक जय हे
भारत भाग्य विधाता

जय हे, जय हे, जय हे


सब तेरे ही जयगाथाओं का गान करते हैं. जनों के मंगलदायक, भारत के भाग्य के रक्षक और सौभाग्य दिलाने वाले के रूप में! जय हो! जय हो! जय हो!

जन गण मन को लेकर विवाद

जन गण मन को राष्ट्रगान बनाने को लेकर उस समय बुद्धीजीवी लोगों और कांग्रेस के ही कुछ प्रमुख नेताओं ने भरी विरोध किया किया था। वे वन्दे मातरम् को राष्ट्रगान बनाना चाहते थे, जिसे बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने लिखा था। हालाँकि बाद में 1905 में हुई बैठक में वंदे मातरम् को पहली बार राष्ट्र गीत का दर्जा प्राप्त हुआ।

ऐसा कहा जाता है की जन गण मन 1911 में जॉर्ज पंचम ब्रिटिश प्रिंस भारत आया था, तो उनके स्वागत में यह गीत टौगोर ने लिख कर गया था।

श्री राजीव दीक्षित जी ने खुले तौर पर रवीन्द्र नाथ टैगोर के बारे में काफी खुलासे किये जिनसे यह पता चलता है कि वे अंग्रेजों के चापलूस थे।

इससे यह काफी स्पष्ट हो जाता है कि वे अंग्रेजों को प्रसन्न करने के लिए उनके लिए ऐसा गीत भी लिख सकते हैं।

पंडित नेहरु उस समय प्रधान मंत्री थे ने इस गीत को आसान कहकर इसका समर्थन किया।

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