Ae Dhani Mor suwa geet lyrics:- ये सुवा गीत ला आरु साहू हा बहुत ही सुन्दर आवाज में ये गीत ला गाए हे, आरु साहू के जतना भी छत्तीसगढ़ी लोक गीत हे अब्बड़ सुघर -सुघर हवे।
Ae Dhani Mor suwa geet lyrics
गीत | ऐ धनी मोर |
स्वर | आरु साहू |
संगीत | विवेक शर्मा |
लिरिक्स (lyrics ) | धनराज साहू |
कोरियोग्राफर (choriyographer ) | सतीश साहू |
Ae Dhani Mor suwa geet lyrics

ए धनी मोर सुवा lyrics
तरी हरी ना ना मोर ना ना री ना ना वो
जल्दी गोकुल अमरा दे,
तरी हरी ना ना मोर ना ना री ना ना वो
जल्दी गोकुल अमरा दे,
देवकी रोवत हे वो बस देव बोलत हे ना
जल्दी गोकुल अमरा दे,
देवकी रोवत हे वो बस देव बोलत हे ना
जल्दी गोकुल अमरा दे,
ए राजा मोर, ए धनी मोर
जल्दी गोकुल अमरा दे ,
ए राजा मोर, ए धनी मोर
जल्दी गोकुल अमरा दे ,
मिठुर हे चोला बतावव का तोला बतावव का तोला वो
जल्दी गोकुल अमरा दे
बिटवा ला बिटवा
मोर हीरा बेटा ला हीरा बेटा ला
जल्दी गोकुल अमरा दे
ए राजा मोर, ए धनी मोर
जल्दी गोकुल अमरा दे ,
ए राजा मोर, ए धनी मोर
जल्दी गोकुल अमरा दे ,
पारैय गोहारि
मोर दायी बिचारि, मोर दायी बिचारी वो
जल्दी गोकुल अमरा दे
बिटवा ला बिटवा
मोर हीरा बेटा ला हीरा बेटा ला
जल्दी गोकुल अमरा दे
ए राजा मोर, ए धनी मोर
जल्दी गोकुल अमरा दे ,
ए राजा मोर, ए धनी मोर
जल्दी गोकुल अमरा दे
तरी हरी ना ना मोर ना ना री ना ना वो
जल्दी गोकुल अमरा दे,
तरी हरी ना ना मोर ना ना री ना ना वो
जल्दी गोकुल अमरा दे,
देवकी रोवत हे वो बस देव बोलत हे ना
जल्दी गोकुल अमरा दे,
देवकी रोवत हे वो बस देव बोलत हे ना
जल्दी गोकुल अमरा दे,
ए राजा मोर, ए धनी मोर
जल्दी गोकुल अमरा दे
ए राजा मोर, ए धनी मोर
जल्दी गोकुल अमरा दे
ए राजा मोर, ए धनी मोर
जल्दी गोकुल अमरा दे
ए राजा मोर, ए धनी मोर
जल्दी गोकुल अमरा दे……
Ae Dhani Mor suwa geet lyrics
आरु साहू के जतका भी छत्तीसगढ़ी लोक गीत बहुत सुन्दर हे जेला सुन के ह्यूमन मनमोहित हो जथान आरु साहू हा अभी तक के जतका लोक गीत गाऐ हे सब्बो गीत सुन्दर हे आप मन जरूर नीचे के लिंक ला देख हु
- Lali semar ful ge suwa geet lyrics |Champa Nishad
- Jela bolay padki maina suwa geet lyrics|Alka chandrakar
- Mor angna ma gonda.. suva geet lyrics|Bhavna
सुआ गीतछत्तीसगढ़ राज्य के गोंड स्त्रियों का नृत्य गीत है। यह दीपावली के पर्व पर महिलाओं द्वारा गाया जाने वाला गीत है । सुआ का अर्थ होता है ‘तोता‘।
इस लोकगीत में स्त्रियां तोते के माध्यम से संदेश देते हुए गीत गाती हैं। इस गीत के जरिए स्त्रियां अपने मन की बात बताती हैं, इस विश्वास के साथ कि वह (सुवा) व्यथा उनके प्रिय तक पहुँचायेगा।
इसलिए इसको कभी-कभी वियोग गीत भी कहा जाता है। धान की कटाई के समय इस लोकगीत को बड़ी उत्साह के साथ गाया जाता है । इसमे शिव-पार्वती (गौरा-गौरी) का विवाह मनाया जाता है। मिट्टी के गौरा-गौरी बनाकर उसके चारो ओर घुमकर सुवा गीत गाकर सुवा नृत्य करते हैं। कुछ जगहों पर मिट्टी के सुवा (तोते ) बनाकर यह गीत गाया जाता है।
यह दिपाली के कुछ दिन पूर्व आरम्भ होकर दिवाली के दिन शिव-पार्वती (गौरा-गौरी) के विवाह के साथ समाप्त होता है। यह शृंगार प्रधान गीत है। सालों से गाया जा रहा यह गीत मौखिक है । सुआ गीत में महिलाएं बाँस की टोकनी मे भरे धान के ऊपर सुआ अर्थात तोते कि प्रतिमा रख देती हैं और उनके चारो ओर वृत्ताकार स्थिति मे नाचती गाती हैं